Saturday, May 21, 2011

आई अब जनता की बारी

Sheena's 4th Contribution towards this Blog!!!

आई अब जनता की बारी*
अकड़ निकल गई उनकी सारी।
ऐसे विनम्र हो गए हैं वे,
जैसे पकड़ी गई हो चोरी।

माँगों पाँच वर्ष का हिसाब।
देना होगा उनको जवाब
जीतकर हो गए थे गुम,
अब सामने आए हैं जनाब।।

आया है मौका अब आपका।
काम देखो प्रत्याशियों का।
विवेक की तुला पर तोलो,
असली चेहरा जानो इनका।।

सोच-समझकर बटना दबाना।
गलती हुई तो पड़ेगा पछताना।
न आना तुम बहकावे में,
जो योग्य हो उसी को चुनना।।

चिकनी-चुपड़ी बातों पर
कीजिए मत विश्*वास।
अपने हित को साधने
ये बहुत जगाएँगे आस।
हम हैं जनता, ये हैं सेवक,
हम नहीं हैं इनके दास।
अपने सेवक को चुनने का
है अधिकार हमारे पास।।

व्यर्थ न जाए आपका
ये बेशकीमती वोट।
जहाँ चाहते आप हैं
वहीं लगाना चोट।।

मकसद हो जाए पूरा
लक्ष्य भी हो हासिल।
सोच-विचार कर दीजिए
अपना बहुमूल्य वोट।।

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