Monday, July 18, 2011

पैसा

पैसा चलता है दोस्त , हर एक डगर पर,
पर कभी कभी प्रेम डगर पर नहीं चलता,
दुनिया में बैठे है लाखों बोली लगाने के लिए,
पर ना जाने क्यों,ईमानदार को ये नहीं फलता,
खुशियों के बाज़ार सजा देता है, अक्सर पैसा,
पर पैसे का रूप मन की ख़ुशी में नहीं ढलता,
रात दिवाली बना लो या दिन में इससे ईद,
पैसा से यारों जीने का अहसास नहीं बदलता....

=======मन-वकील

अफसाना

बना इक नया इतिहास, रच हर रोज़ नए अफसाने,
मत परवाह कर किसी की, कोई तुझे माने या न माने,
डगर पर चला चल, हर किसी की बातों से हो अनजान,
अपनी सुध में लिख इक नयी तहरीर,चढ़ रोज़ नए सोपान,
कोई उठाएगा तुझ पर तलवार, कोई पहनाये फूलों के हार,
कोई करेगा तेरी सिफत तारीफ, कोई करेगा तेज़ तेज़ वार,
मेरे दोस्त तू लिखेगा इक अमर अफसाना, इस
दुनिया
का,
बस बढ़ता चल, इन कडवे सवालों से कभी हिम्मत ना हार,


===Man-Vakil

टूटे ख्वाब रूठे नसीब!

रात भर बैठ कर अब रोता है वो,
याद कर कर अपने बीते अतीत को,
कैसे सजते थे वहां उसके रौनक मेले,
लोग जलते थे देख कर,उसके नसीब को,
जब खुशियाँ मुड़ वापिस आती हर-पल,
ढूंढ़ने उसे या शायद चूमने उसकी दहलीज़ को,
वक्त का पहिया घूम घूम कर तेज़ भागता,
लौट कर आने को हो, खोजता किस तरतीब को,
वो हर शह को समझता था अपना गुलाम,
लुभाता था वो एक सा, अपनों को या रकीब को,
रातों के काले साए भी नो छू पाए , उसे कभी,
रौशनी के दौर चलते सदा, होकर उसके करीब को,
पर जैसे बदलते है यारों मौसम के भी हर दौर,
पड़ गए उसके नसीब के धागे भी कुछ कमज़ोर,
रातें भी आने लगी अब होकर स्याह उसके करीब,
टूट गए थे सब ख्वाब, रूठ गए सब उसके नसीब ./....
==मन वकील

ईश्वर है या नहीं?

वो है तभी तो मैं हूँ..
सर्व-विद्यमान है वो,
कभी किसी रूप में आ,
कभी कोई खेल दिखा,
वो कर देता है मुझे,
एकाएक विस्मित सा,
ना कैसे कर दूँ उसको,
या उसके अस्तित्व को,
जब वो सदैव रहता है,
मेरे इर्द-गिर्द, चहु ओर,
मेरी प्रत्येक क्रिया को,
वो निर्धारित करता है,
ताकि अँधेरे से मुक्त हो,
और ज्योति से युक्त हो,
मैं बना रहूँ एक इंसान,
मेरी माँ बनकर कभी,
कभी पिता के रूप में,
कभी प्रिये मित्र सा हो,
कभी मेरी नन्ही बेटी,
ना जाने किस किस ,
रूप को धरकर वो, सदा,
मुझे एक डगर पर चलाता,
और तुम कहते हो कि,
वो मेरा बंधू मेरा सखा,
ईश्वर है या फिर नहीं ,
====मन-वकील