Thursday, September 22, 2011

बावफा " मल्लिका "

एक छोटे से कागज़ पर तुमने अपनी कहानी लिख दी
इस बन्दे ने नाम तुम्हारे, अपनी पूरी जवानी लिख दी
करते हुए प्यार की वो बाते उस नीम के दरख्त के तले
प्रेमरस में डुबो अपनी कलम, वो कई शाम सुहानी लिख दी
वादा जो किया उमर का हर पड़ाव तुम्हारे साथ रहने का
उसी राह में मौत आने तक, बुढ़ापे से पहले जवानी लिख दी
क्यों लिखूं अब किसी मंज़र या दरख्त पे एक-दूजे का नाम
जब दिल में तुझे बसा, तुझमे अपने प्यार की निशानी लिख दी
हौले-हौले डूबी नशा-ए-मोहब्बत, ऐ मेरे दिल की बावफा " मल्लिका "
लोगों की जुबाँ पे रहे हमारा नाम ताउम्र,ऐसी दास्ताँ आसमानी लिखा दी