Tuesday, May 17, 2011

दोस्त की याद में

चन्द बातें तो याद होंगी तुम्हे मेरी ,
कुछ पल भी समेटे होंगे आँखों में,
बिता हुआ कल अब होगा दामन में,
किसी गाँठ की तरह बंधा सा हुआ,
ख्वाब चाहे ना आते हो कभी मेरे,
पर तुम्हारे काले सायों में हूँ मैं,
बुरे अतीत की कालिमा संजोये,
आज भी डर जाती होगी अचानक,
तुम देख किसी राह पर चलते चलते,
ठिठक कर फेर लेती होगी अपना मुहं,
या फिर बदल देती होगी राह अपनी....
कुछ तो बात है तुममे ऐ मेरे दोस्त
जो मजबूर कर देती है हमें तेरे पास आने को,
वो बारीकियां सभी कुछ ब्याँ करने की तेरे,
वो आग से खेलते मुद्दे उठाना , यूँ अक्सर ,
वो कुछ अपनों की मदद करने का हौंसला,
कहाँ से शुरू करूँ और कहाँ पे इसे ख़तम,
तेरी शख्सियत का कोई सानी भी तो नहीं.....
-----------मन-वकील ...

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