Tuesday, May 17, 2011

दुनिया में---मुसाफिर गुम गया

वो जब आया इस दुनिया में, बहुत शोर मचाता रहा,
शोर शोर करते करते, अपना आगमन बतलाता रहा,
माँ की गोद से, पिता के कंधे पर चढ़कर, हर रोज़,
अपने पाँव पर वो धीरे धीरे एकदिन चल निकला,
शुरू करने अपनी जीवन के सफ़र का , एक दूसरा ही दौर,
उसके पहले कदम धरा पर रखने से भी हुआ वैसा ही शोर,
उसके नन्हे नन्हे क़दमों की ताल भी, अब कुछ बदलने लगी,
तेजी आयी जुबान सी उसके क़दमों में, जिन्दगी मचलने लगी,
पहले अकेला रहा वो, अब हमकदम हमसफ़र मिलने लगे,
कुछ छूटे मोड़ पर ही , कुछ उसके साथ साथ चलने लगे,
नए विचारों से उसने नए जीवन को दिए उसने आयाम,
रुक न पाया वो कभी इस भागदौड़ में , करने को विश्राम,
अब उसके क़दमों की ताल के संग, कुछ कदम अपने से मिले,
जो अलग हो अपनी राह को निकले, कल तक जो साथ थे चले,
धीरे धीरे उसके क़दमों की भी गति , लगी कुछ अपने आप घटने,
वो अलग सा होने लगा उस राह से, लगा था कुछ वो भी थकने,
एकदिन ना जाने क्यों वो, एकाएक ही था उसका सफ़र थम गया,
चार कंधो पर चला वो अग्नि भस्म होने, वो मुसाफिर
गुम गया...
..............मन-वकील

2 comments:

  1. jiwan ki sachhai ko itni asani se dikha diya!!!

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  2. thanx friend...please keep visiting

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