Wednesday, August 24, 2011

धर्म के नाम पर!

वो लड़ते है उसके नाम पर, अब उसे नहीं है खोजते,
वो महसूस करते है उसे पर, अब उसे नहीं सोचते,
चहु ओर फैली हवाओं से उजालों तक वो ही छाया है,
करिश्मे उसके अज़ब, कभी रूप धर, कहीं बिन-काया है,
कोई बोले उसे राम या कृष्ण, कोई हो शिव ॐ से ही शुरू,
कोई सजदे कर बोले अल्लाह, कोई उच्चारे हे वाहे गुरु,
कभी ईसा है वो मेरा, कभी गौतम बनके धरती पर आये वो,
कभी निरंकार है, कभी अवतारों का ही कोई रूप सजाए वो,
वो है तो फिर बहस करने से, क्यूँकर ज्ञान हम ऐसे बघारे,
अरे वो है चहुँ ओर, हर जगह ,यहाँ वहां इर्द गिर्द बसता हमारे|

=man-vakil 

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