Tuesday, May 31, 2011

मौत महास्वावलंबी है

One of the most heart touching poem by Mr Sashwat Bharadwaj

(तुम और तुम्हारी मौत एक ही लग्न में जन्म लेते हैं, पर मौत पहले मर सकती है।)

किसी की उम्र कम
किसी की लंबी है,
और मौत महास्वावलंबी है।
अपना निर्णय स्वयं लेगी,
तुम्हारे चिंता करने से
न तो आएगी
न आने से रुकेगी।
चिंता करके
स्वयं को मत सताओ,
मौत जब भी फोटो खींचना चाहे
मुस्कराओ।
रौनक आ जाती है फोटो में
तुम्हारी दो सैकिंड की मुस्कान से,
ज़िंदगी भर मुस्कुराओगे तो
कभी नहीं जाओगे जान से।

सुनो! तुम्हारे पैदा होते ही
तुम्हारी मौत भी पैदा हो जाती है।
ठीक उसी घड़ी उसी मुहूर्त
उसी लग्न उसी व़क्त
तुमसे कहीं ज़्यादा मज़बूत और सख़्त।
याद रखना मौत मुस्कराती नहीं है,
कोयल की बोली में गाती नहीं है।
वह तो चील-गिद्ध कउओं की तरह
सिर पर मंडराती है
हंसी उसे आती नहीं है।
दांत फाड़े जब वो तुम मुस्कुराओ,
और जब दहाड़े तुम गुनगुनाओ।

वृद्धावस्था तक
अपनी ताक़त खोने से
वो खोखली हो जाएगी,
उसके दांत बर्फ़ की तरह
पिघल जाएंगे
और वो पोपली हो जाएगी।

तुम फिर भी मुस्कुराते रहे
तो तुमसे बुरी तरह डर जाएगी,
तुम्हारी मौत तुम्हारे सामने ही
मर जाएगी।

No comments:

Post a Comment

Thank you for providing your valuable feedback on the Blog..

A Thought:We spend almost 1000 Rupees per month on our unneeded Luxury items (cigarettes,perfumes,deodorants,hair cuts etc) but can't we spare only 600 rupees per month to educate a child???..Just think once and visit the website http://www.worldvision.in/ to contribute now!!