Friends Another wonderful poet has joined our mission..Mr Tigerlove...Here's his contribution..
गुलशन का इन्तज़ार अभी बाक़ी है॥
पतझङ चली गई बहार अभी बाक़ी है॥
खेल चुके है इन्सान खून की होली
गिद्धोँ का त्योहार अभी बाक़ी है॥
फिर लुटने की तमन्ना है शायद
लुटेरोँ पर ऐतबार अभी बाक़ी है॥
दिखा दिया तलवार का जौहर तुने
मेरी क़लम का वार अभी बाक़ी है॥
बोएँ खूब "शेर" लोग नफरत की फसल
पर मेरे खेत मेँ प्यार अभी बाक़ी है॥
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
शेर-ऐ-आशिक
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गुलशन का इन्तज़ार अभी बाक़ी है॥
पतझङ चली गई बहार अभी बाक़ी है॥
खेल चुके है इन्सान खून की होली
गिद्धोँ का त्योहार अभी बाक़ी है॥
फिर लुटने की तमन्ना है शायद
लुटेरोँ पर ऐतबार अभी बाक़ी है॥
दिखा दिया तलवार का जौहर तुने
मेरी क़लम का वार अभी बाक़ी है॥
बोएँ खूब "शेर" लोग नफरत की फसल
पर मेरे खेत मेँ प्यार अभी बाक़ी है॥
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शेर-ऐ-आशिक
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