महाज्ञानी महापंडित सबै देखे, हम जल भरते ऐसे,
भाग्य सो बड़ो नाही कोई,पछाड़ दियो जो सबहु जैसे,
जो होए सबल तो मिल जाए,माटी भीतर भी सोना,
जो होए धूमिल तो हाथ कमायो भी सबहु हो खोना,
अंधे जैसो दिखत नहीं कबहू, राह पड़ी वो सबरी मुहरे,
भाग्य बदा मिलतो सबहु चाहे कछु जतन कोऊ जुहरे,
कागा खाता रहे पकवान, हंस चलत बस भूख बिधान,
कूकर चाटे रस मलाई, और गैय्या सांगे कूड़े बहुबान,
देख मन-वकील एहो भाग्य की जस तस भाँती-२ खेल,
पाखंडी चड़त रहीं अब सिंहासन,भलो जावत रहे जेल ....
==मन-वकील
भाग्य सो बड़ो नाही कोई,पछाड़ दियो जो सबहु जैसे,
जो होए सबल तो मिल जाए,माटी भीतर भी सोना,
जो होए धूमिल तो हाथ कमायो भी सबहु हो खोना,
अंधे जैसो दिखत नहीं कबहू, राह पड़ी वो सबरी मुहरे,
भाग्य बदा मिलतो सबहु चाहे कछु जतन कोऊ जुहरे,
कागा खाता रहे पकवान, हंस चलत बस भूख बिधान,
कूकर चाटे रस मलाई, और गैय्या सांगे कूड़े बहुबान,
देख मन-वकील एहो भाग्य की जस तस भाँती-२ खेल,
पाखंडी चड़त रहीं अब सिंहासन,भलो जावत रहे जेल ....
==मन-वकील