हम भी ढूंढ कर लाते है तेरे लिए लफ़्ज़ों के गुलाब,
बस तू है के पढ़ती नहीं कभी मेरे दिल की किताब,
जिसने बोला बस तू चल देती है उठकर उसके संग,
हम परेशान हो जाते है देख कर तेरे ये बदले से ढंग,
बयां कर भी नहीं पाते, बस आँखों से उदास हो लेते,
मन के हर रंज को , हम अपने ही आंसुओं से धो लेते,
शिकवा कैसे करें, क्यों कर करे भला,हम अब तुम से,
जुबान पर जड़ दिए है ताले, हो गए है हम गुमसुम से,
रौशनी में भी बैठकर भी अंधेरों में अब हम है अब जीते,
और पीते होंगे गम भुलाने को,हम तुझे याद करने को पीते,
तू अगर है ज़बर, तो हम भी जबरदस्त कम तो नहीं,
तू रूठ भी जाए, तो तेरे जाने कोई अब गम तो नहीं,
अरे मत देख, तू मन-वकील के चेहरे पर छाये हुए गम,
देख स्याह होती अपनी शख्सियत को,अब हरपल हरदम,
कैसे गुजरे थे हम तेरी राहों से ऐसे कभी, तू ये याद तो कर,
बैचेन हम नहीं,जितना तू रोई मेरे जाने पर तू ये याद तो कर,
अरे हम है मन-वकील , सदा करे मन से अपने हर बात,
और चाहे कितने खेल खेलें हमसे, पर हम हार कर भी जीतें,
चाहे कोई डाले हमारे दिल पे जितनी भी लकीरे, सितमगर सा,
हम है जो मुहं से उफ़ तक न करते,कभी उन जख्मों को ना सीते,
======मन-वकील
बस तू है के पढ़ती नहीं कभी मेरे दिल की किताब,
जिसने बोला बस तू चल देती है उठकर उसके संग,
हम परेशान हो जाते है देख कर तेरे ये बदले से ढंग,
बयां कर भी नहीं पाते, बस आँखों से उदास हो लेते,
मन के हर रंज को , हम अपने ही आंसुओं से धो लेते,
शिकवा कैसे करें, क्यों कर करे भला,हम अब तुम से,
जुबान पर जड़ दिए है ताले, हो गए है हम गुमसुम से,
रौशनी में भी बैठकर भी अंधेरों में अब हम है अब जीते,
और पीते होंगे गम भुलाने को,हम तुझे याद करने को पीते,
तू अगर है ज़बर, तो हम भी जबरदस्त कम तो नहीं,
तू रूठ भी जाए, तो तेरे जाने कोई अब गम तो नहीं,
अरे मत देख, तू मन-वकील के चेहरे पर छाये हुए गम,
देख स्याह होती अपनी शख्सियत को,अब हरपल हरदम,
कैसे गुजरे थे हम तेरी राहों से ऐसे कभी, तू ये याद तो कर,
बैचेन हम नहीं,जितना तू रोई मेरे जाने पर तू ये याद तो कर,
अरे हम है मन-वकील , सदा करे मन से अपने हर बात,
और चाहे कितने खेल खेलें हमसे, पर हम हार कर भी जीतें,
चाहे कोई डाले हमारे दिल पे जितनी भी लकीरे, सितमगर सा,
हम है जो मुहं से उफ़ तक न करते,कभी उन जख्मों को ना सीते,
======मन-वकील