चाँद सिक्कों के बदले बिकती है आज ईमानदारी,
यहाँ चलती है यारों सरकारी महकमों में इनामदारी,
कहीं कोई रुकावट हो ,या हो कोई भी अड़चन कैसी भी,
सुना दो खनक सिक्कों की,हल हो मुसीबत जैसी भी,
कहीं कहीं नहीं अब तो, हर शाख पर उल्लू ही बैठा है,
यहाँ माई-बाप है रिश्वत, चहु ओर भ्रष्टाचार ही ऐंठा है,
अब अंधे की लाठी बनकर, सिर्फ पैसा ही सब चलता है,
कहाँ कहाँ मिटाए इसको, अब भ्रष्टाचार चहुओर पलता है...
बिक गयी इमानदारी,अब तो बस नोट ही बोलता है,
हर तरफ से जनता को, उनका नेता ही लुटता है..
कोई खुद के नापाक इरादों को,जनता से छुपता है,
कोई यहाँ गरीबों के घर भोजन करने का ढोंग रचता है,
कोई रखता अपना मत यहाँ,तो कोई मैडम के बोल बोलता है,
अन्ना बैठे अनसन पर,कोई अपने स्वार्थ में तुडवाना चाहता है,
मगर इस भोली जनता का दुःख न कोई समझा,न समझना चाहता है!!!!
-Man-Vakil
यहाँ चलती है यारों सरकारी महकमों में इनामदारी,
कहीं कोई रुकावट हो ,या हो कोई भी अड़चन कैसी भी,
सुना दो खनक सिक्कों की,हल हो मुसीबत जैसी भी,
कहीं कहीं नहीं अब तो, हर शाख पर उल्लू ही बैठा है,
यहाँ माई-बाप है रिश्वत, चहु ओर भ्रष्टाचार ही ऐंठा है,
अब अंधे की लाठी बनकर, सिर्फ पैसा ही सब चलता है,
कहाँ कहाँ मिटाए इसको, अब भ्रष्टाचार चहुओर पलता है...
बिक गयी इमानदारी,अब तो बस नोट ही बोलता है,
हर तरफ से जनता को, उनका नेता ही लुटता है..
कोई खुद के नापाक इरादों को,जनता से छुपता है,
कोई यहाँ गरीबों के घर भोजन करने का ढोंग रचता है,
कोई रखता अपना मत यहाँ,तो कोई मैडम के बोल बोलता है,
अन्ना बैठे अनसन पर,कोई अपने स्वार्थ में तुडवाना चाहता है,
मगर इस भोली जनता का दुःख न कोई समझा,न समझना चाहता है!!!!
-Man-Vakil
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