कुछ रेशम के धागे है जो बाँधते है , प्रेम का एक सच्चा नाता,
वो छोटी बहन या बड़ी दीदी के संग अविरल स्नेह को जगाता,
कलाई पर बंधकर जो ना जाने कैसे मन की गहराई को पाते,
जो व्यापारिकता से हटकर , भाई बहन के रिश्तों को सजाते,
जब वो दूर हो जाती तो कैसे मेरे नेत्रों से बहने लगती अश्रु धारा,
जिस बहन के संग खेला, कैसे भुला दूँ वो रिश्ता प्यारा हमारा,
आज फिर उसी रिश्तों को मज़बूत करने का फिर वो दिन है आया,
सदा नमन है उस देव तुल्य को जिसने रक्षा बंधन का दिन है बनाया......
======मन वकील
वो छोटी बहन या बड़ी दीदी के संग अविरल स्नेह को जगाता,
कलाई पर बंधकर जो ना जाने कैसे मन की गहराई को पाते,
जो व्यापारिकता से हटकर , भाई बहन के रिश्तों को सजाते,
जब वो दूर हो जाती तो कैसे मेरे नेत्रों से बहने लगती अश्रु धारा,
जिस बहन के संग खेला, कैसे भुला दूँ वो रिश्ता प्यारा हमारा,
आज फिर उसी रिश्तों को मज़बूत करने का फिर वो दिन है आया,
सदा नमन है उस देव तुल्य को जिसने रक्षा बंधन का दिन है बनाया......
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